HI/670331 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"कृष्ण कहते हैं, अपि चेत्सुदुराचारो। भले ही आपको किसी भक्त के व्यवहार में कुछ बुराइयाँ दिखती हो, परंतु चुँकि वह भक्त है, कृष्ण भावनामृत में निरंतर संलग्न है, वह साधु है। भले ही पिछले जन्म के कर्मों के कारण उसकी कुछ आदतें बुरी हों, यह मायने नही रखता, क्योंकि कुछ समय बाद ये आदतें चली जाऐंगी। क्योंकि उसने कृष्ण भावनामृत ग्रहण किया है, सब बकवास बंद हो जाएगा। वह स्विच बंद है। जैसे ही कोई कृष्ण के पास आता है, वह स्विच जो बुरी आदतों को प्रेेरित करती है, तुरंत बंद हो जाती है। उसी प्रकार जैसे ताप है, गरम करता है, भट्ठी है, बिजली से चलने वाली भट्ठी। यदी स्विच को बंद कर दिया जाए तो भट्ठी गरम रहती है। परंतु धीरे-धीरे उसका तापमान घटता जाता है और वह ठंडा हो जाता है।"
670331 - प्रवचन भगवद्गीता १०.०८ - सैन फ्रांसिस्को