HI/680905b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

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Revision as of 06:36, 5 January 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"भगवद्गीता में कहा गया है, चातुर् वर्णयम् मया सृष्टम् (भ. गी. 4.13)। विभाजन के ये चार वर्ग अलग-अलग गुणों के अनुसार हैं, और कृष्ण कहते हैं, या भगवान कहते हैं, "यही मेरी रचना है।" इसलिए उनकी रचना मे कोई अपवाद नहीं हो सकता। जैसे भगवान की रचना सूर्य है। हर देश में सूरज है, ऐसा नहीं है कि भारत में सूरज देखा जा सकता है। हर देश में चाँद होता है। इसी तरह, यह जाति व्यवस्था हर देश में, हर समाज में मौजूद है, लेकिन इसे अलग-अलग नामों से बुलाया जा सकता है।
680905 - प्रवचन Initiation and Wedding - न्यूयार्क