HI/681219b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"तुम्हें अपनी परिस्थिति बदलने की आवश्यकता नहीं है। तुम अपने कानों को भगवद्गीता यथारूप का श्रवण करने में नियुक्त करो, तुम सारी निरर्थकता भूल जाओगे। तुम अपनी आँखों को नियुक्त करो विग्रह के सौंदर्य दर्शन में, कृष्ण के। तुम अपनी जिह्वा को कृष्ण प्रसाद के आस्वादन में नियुक्त करो। तुम अपने पैरों को इस मंदिर आने में नियुक्त करो। तुम अपने हाथों को कृष्ण के लिए कार्य करने में नियुक्त करो। तुम अपनी नासिका को कृष्ण को अर्पित पुष्पों को सूंघने में नियुक्त करो। तब तुम्हारी इन्द्रियां कहाँ जाएँगी? वे (इन्द्रियां) चारो तरफ (कृष्ण) से बंध गयी हैं। तब सिद्धि निश्चित है। तुम्हें इन्द्रियों को बलपूर्वक वश में करना आवश्यक नहीं है-मत देखो, मत करो, मत करो। नहीं । तुम्हें (अपनी) कार्यशैली को बदलना है, (अपनी) अवस्था को। उससे तुम्हें मदद मिलेगी।" |
681219 - प्रवचन BG 02.62-72 - लॉस एंजेलेस |