HI/690512c बातचीत - श्रील प्रभुपाद कोलंबस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"हमारी सिफारिश है कि बस हरे कृष्ण गुणगान करो। जहाँ तक (यह मंत्र) संस्कृत शब्द है, वह कोई समस्या नहीं है, सभी गुणगान कर रहे हैं। तो क्या मुश्किल है? कोई भी मज़हबी प्रणाली लाओ। तुम इतनी सरल (प्रणाली) नहीं खोज पाओगे। हम कर्मकांड की अनुशंसा नहीं करते। वह... वह बहुत महत्वपूर्ण चीज़ नहीं है। हम (यह) दे रहे हैं, (कि) कहो, सिर्फ गुणगान करो। कर्मकांड का निष्पादन थोड़ा और सहायक है। बस इतना। वह सहायक है। (किन्तु) वह आवश्यक नहीं है। चैतन्य महाप्रभु ने कहा था कि समग्र शक्ति, और समग्र सौंदर्य, समग्र विवेक, सभी कुछ (वहां) है नाम में। सिर्फ गुणगान के द्वारा हमें सब सुलभ है, सभी कुछ। किन्तु (कर्मकांड) मात्र इसे मदद करने के लिए। यह (स्वयं) कुछ नहीं करता।।। यदि कोई हमारे कर्मकांड को नहीं चाहता, (तो) वह महत्वपूर्ण चीज़ नहीं है। हम (कर्मकांड करने को) नहीं कहते। हम बस अनुशंसा करते हैं " तुम कृपया गुणगान करो"। बस इतना।" |
690512 - बातचीत with Allen Ginsberg - कोलंबस |