HI/720502 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद टोक्यो में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"खाने और सोने का लाभ न लें। इन किताबों का लाभ उठाएं! तब आपका जीवन सफल होगा। मेरा कर्तव्य- मैंने आपको इतनी मूल्यवान चीजें दी हैं, दिन-रात आपको समझाने की कोशिश कर रहा है, प्रत्येक शब्द को शब्द। और यदि आप इनका लाभ नहीं उठाते, फिर मैं आपके लिए क्या कर सकता हूं? |
७२०५०२ - प्रवचन श्री .भा. ०२.०९. ०६ -१४ - टोक्यो |