HI/710915 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मोम्बासा में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

(No difference)

Revision as of 12:38, 18 July 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी

निशम्य कर्माणि गुणानतुल्यान् वीर्याणि लीलातनुभि: कृतानि । यदातिहर्षोत्पुलकाश्रुगद्गदं प्रोत्कण्ठ उद्गायति रौति नृत्यति ॥ (श्री.भा.०७.०७.३४)

"इस तरह, जैसे वह आध्यात्मिक जीवन में उन्नति करता है,तो केवल निशम्य कर्माणि गुणानतुल्यान्, तो केवल कृष्ण की लीला का श्रवण करके, तुरंत वह परमानंद में भर जाएगा और वह रोने लगेगा। ये लक्षण हैं। निशम्य कर्माणि गुणानतुल्यान् वीर्याणि लीलातनुभि: कृतानि । वीर्याणि लीला:'ओह, कृष्ण इतने सारे राक्षसों को मार रहे है, कृष्ण गोपियों के साथ नृत्य कर रहे है,कृष्ण अपने गोप-बालकों के साथ खेल रहे है,कृष्ण वहाँ जा रहे है,' यह लीला है,स्मरणं । कृष्ण पुस्तक पढ़ना मतलब कृष्ण के इन सभी कार्यकलाप को याद रखना। बस कृष्ण पुस्तक को बार-बार पढ़ते जाइए, आप पारलौकिक स्थिति के उत्तम चरण में हैं।"

७१०९१५ - प्रवचन श्री.भा. ०७ स्कंध - मोम्बासा