HI/731204 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"मानव सभ्यता तपस्या, तपस्या के लिए होती है। आपको पता होना चाहिए कि मेरी जिम्मेदारी क्या है। तपसा ब्रह्मचर्येण शमेन च दमेन च (श्री.भा.०६.०१.१३-१४]। एक व्यक्ति को सीखना चाहिए कि कैसे तपस्या का अभ्यास करना चाहिए। तपस्या, यह तपस्या है, थोड़ा तपस्या, कोई अवैध सेक्स, कोई जुआ, कोई मांसाहार और कोई नशा नहीं, यह तपस्या है, थोड़ा तपस्या। कौन बिना मांस खाए मर रहा है? हमें इतने सारे छात्र मिल गए हैं। इतने सारे वैष्णव, वे मांस नहीं खाते हैं। क्या वे मर रहे हैं? यह केवल बुरी आदत है। लेकिन अगर आप थोड़ा अभ्यास करते हैं ... शुरुआत में यह थोड़ा परेशानी भरा हो सकता है। यह तकलीफदेह नहीं है। मैं सोच रहा हूं ... जैसे एक सज्जन आए, 'हम मांसाहार नहीं छोड़ सकते, मैं चाहता हूँ, लेकिन मैं नहीं कर सकता'। अभ्यास-योग-युक्तेन चेतसा (भ.गी. ८.८))। कुछ भी आप अभ्यास करते हैं, आदत दूसरी प्रकृति है। तो भक्त के सहयोग से, यदि आप इस तपस्या का अभ्यास करने की कोशिश करते हैं... तपसा ब्रह्मचर्येण, बिना किसी उद्देश्य के यौन जीवन नहीं,जिसे ब्रह्मचारी कहा जाता है।” |
731204 - प्रवचन श्री.भा. ०१.१५.२५-२६ - लॉस एंजेलेस |