HI/740609 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद पेरिस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

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Revision as of 08:01, 5 September 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"यदि आप पशु या मनुष्य हैं, जैसे ही आपको यह भौतिक शरीर मिलता है, तो आपको नुकसान उठाना पड़ेगा। यह स्थिति है। यह भौतिक स्थिति है। इसलिए हमारे कृष्ण भावनाअमृत संघ का मतलब यह नहीं है, मेरा मतलब है, कि शरीर के कष्टों को कम करना। जब शरीर होता है, तो कष्ट अवश्य होता है। इसलिए हमें शरीर की पीड़ाओं से बहुत अधिक परेशान नहीं होना चाहिए, क्योंकि आपने बहुत अच्छी व्यवस्था करी होगी, परंतु आपको नुकसान उठाना पड़े। यूरोप और अमेरिका की तुलना देखें। यूरोपीय शहरों में हम इतनी अच्छी व्यवस्था, रहन-सहन, बड़ा, बड़ा घर, बड़ी, बड़ी सड़क, अच्छी कार देखते हैं। भारत की तुलना में, अगर कुछ भारतीय भारतीय गांव से आते हैं, तो वह देखेंगे ' यह स्वर्ग है, इतना अच्छा घर, इतनी अच्छी इमारत, इतना अच्छा मोटरकार।' लेकिन क्या आपको लगता है कि आपको कोई दुख नहीं है? वह सोच सकता है, बदमाश सोच सकते हैं कि ' यहाँ स्वर्ग है' । लेकिन जो लोग इस स्वर्ग में रहते हैं, वे जानते हैं कि यह किस प्रकार का स्वर्ग है। (हँसी) तो दुख तो होना ही चाहिए। दुख तो होना ही चाहिए, जैसे ही आप इस भौतिक शरीर को प्राप्त करते हैं।"
740609 - प्रवचन SB 02.01.01 - पेरिस