HI/740626b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मेलबोर्न में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"चिंतामणि-प्रकर-सदमासु कल्प-वृक्ष-लक्षव्रतेसु-सुरभिर-अभिपालयन्तं (ब्र .सं.-५.२९)। कृष्ण, वह हमेशा गायों को पालते हैं। उसका नाम गोपाल है। कृष्ण का पशु बनना एक महान, महान सौभाग्य है। यह कोई साधारण बात नहीं है। कृष्ण के किसी भी सहयोगी, या तो उनके सहकर्मी प्रेमी या बछड़े या गाय, या वृंदावन के पेड़, पौधे, फूल या पानी, वे सभी कृष्ण के भक्तको हैं। वे विभिन्न क्षमताओं में कृष्ण की सेवा करना पसंद करते हैं। कोई पशु के रूप में कृष्ण की सेवा कर रहा है। कोई व्यक्ति कृष्ण को फल और फूल, पेड़ के रूप में, यमुना के पानी के रूप में, या सुंदर चरवाहे पुरुषों और नर्तकियों या कृष्ण के पिता, माता की सेवा कर रहा है, तो कई के साथ। कृष्ण अवैयक्तिक नहीं हैं। इसलिए उन्हें बहुत सारे प्रेमी मिले हैं। कृष्ण भी उनसे प्यार करते हैं। तो कृष्ण का दूसरा नाम पशु-पाला, पशु-पाला-पंकजा है। वह जानवरों का रखवाला है।” |
740626 - प्रवचन श्री.भा. ०२.०१.०१-०५ - मेलबोर्न |