HI/750227 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मायामी में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

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Revision as of 05:08, 15 September 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"जब हमें जीवन का यह मानवीय रूप मिला है, तो हमें यह समझना चाहिए कि ' चीजें कैसे हो रही हैं? मैं कैसे विभिन्न प्रकार के शरीर प्राप्त कर रहा हूं? कैसे शरीर के अनुसार मुझे निर्धारित किया जाता है और मैं खुश नहीं हूं? अब इसका क्या कारण है? फिर मैं क्या हूं? मैं संकट नहीं चाहता हूं। मुझ पर संकट क्यों है? मैं नहीं चाहता कि मैं मरूं। मुझ पर मौत क्यों मजबूर है? मैं बूढ़ा नहीं होना चाहता। मैं सदा जवान रहना चाहता हूं। बुढ़ापा मुझ पर मजबूर क्यों है?' बहुत सारी चीजें हैं। इस तरह, जब हम काफी बुद्धिमान हो जाते हैं और कृष्ण या उनके, कृष्ण के प्रतिनिधि से संपर्क करते हैं, तो हमारा जीवन सुधर जाता है।"
७५०२२७ - प्रवचन भ.गी. १३.०४ - मायामी