HI/741210 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"हम इतने मूर्ख हैं, हम सोच रहे हैं," यह स्थायी बंदोबस्त है। स्थायी समझौता। इसे अज्ञानता कहा जाता है। स्थायी समाधान का कोई सवाल ही नहीं है। इसके अंतर्गत अस्थायी ... प्रकृतेः क्रियमाणानि गुणैः कर्माणि सर्वशः(भ.गी. ३.२७) प्रकृति के नियमों के तहत हमें विभिन्न प्रकार के शरीर, विभिन्न प्रकार के अवसर मिल रहे हैं। और यह चल रहा है। लेकिन हम आत्मा हैं; हम यह भौतिक शरीर नहीं हैं। इसलिए हमारी भावना होनी चाहिए जीवन की इस भौतिक स्थिति, जन्म, मृत्यु, वृद्धावस्था और बीमारी की पुनरावृत्ति से खुद को बचाने के लिए सर्वोच्च व्यक्तित्व भगवन की शरण लेना चाहिए।"
741210 - प्रवचन श्री.भा. ०३.२५.४२ - बॉम्बे