HI/730919 बातचीत - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
(Created page with "Category:HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी Category:HI/अमृत वाणी - १९७३ Category:HI/अम...") |
(No difference)
|
Revision as of 23:12, 4 October 2020
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"जैसे ही तुम जरा भी असावधान होते हो, माया तुरंत बंदी बना देती है। "हाँ , यहाँ आ जाओ। " तब सब कुछ विफल हो जाता है। हम सब में इन्द्रिय भोग की स्वाभाविक प्रवृत्ति है। तो इन्द्रियां प्रबल हैं। जैसे ही अवसर मिलता है, इन्द्रियां तुरंत उसका फायदा उठाएंगी। " |
730919 - बातचीत - बॉम्बे |