HI/731031 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद वृंदावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/731031BG-VRNDAVAN_ND_01.mp3</mp3player>|"हर कोई कुछ अस्थायी कठिनाइयों का हल निकालने की कोशिश कर रहा है - राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक रूप से - लेकिन वास्तविक समाधान, जैसा कि भगवद गीता में कहा गया है, जन्म-मृत्यु-जरा-व्याधि-दुख-दोसानुदरसनं ... ([[Vanisource:BG 13.8-12 (1972)|भ.गी. १३.९]]) जनमा, जन्म, मृत्यु, मृत्यु, और जरा, बुढ़ापा और व्याधि, रोग - इस उलझाव से बाहर निकलने के लिए, दुख-दोसानुदरसन। यह हमारा असली जीवन है। जीवन की दयनीय स्थिति।”
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{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/731028 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद वृंदावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|731028|HI/731031b बातचीत - श्रील प्रभुपाद वृंदावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|731031b}}
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|Vanisource:731031 - Lecture BG 07.03 - Vrndavana|731031 - प्रवचन भ.गी. ०७.०३ - वृंदावन}}
|Vanisource:731031 - Lecture BG 07.03 - Vrndavana|731031 - प्रवचन भ.गी. ०७.०३ - वृंदावन}}

Latest revision as of 00:18, 17 November 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"हर कोई कुछ अस्थायी कठिनाइयों का हल निकालने की कोशिश कर रहा है - राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक रूप से - लेकिन वास्तविक समाधान, जैसा कि भगवद गीता में कहा गया है, जन्म-मृत्यु-जरा-व्याधि-दुख-दोसानुदरसनं ... (भ.गी. १३.९) जनमा, जन्म, मृत्यु, मृत्यु, और जरा, बुढ़ापा और व्याधि, रोग - इस उलझाव से बाहर निकलने के लिए, दुख-दोसानुदरसन। यह हमारा असली जीवन है। जीवन की दयनीय स्थिति।"

731031 - प्रवचन भ.गी. ०७.०३ - वृंदावन