HI/751004 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉरिशस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

(No difference)

Revision as of 09:06, 26 January 2021

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"तो कृष्ण कहते हैं, देहिनोऽस्मिन्यथा देहे कौमारं यौवनं जरा तथा देहान्तरप्राप्ति: (भ.गी. २.१३)। देहान्तरप्राप्ति: है, जानकारी है। तो हम कैसे इनकार कर सकते हैं कि मृत्यु के बाद कोई जीवन नहीं है? वह है। लेकिन कोई भी यह समझने की परवाह नहीं कर रहा है, "मेरा अगला जीवन क्या है? क्या होने वाला है? आज मैं एक बहुत बड़ी स्थिति में हो सकता हूं, और कल, अगर मैं एक पेड़ बनने जा रहा हूं..." यहां हम इस कमरे में बहुत आराम से बैठे हैं। बस कुछ ही गज बाद, एक पेड़ है। वह एक इंच भी आगे नहीं बढ़ सकता है, और उसे हरदम, चिलचिलाती गर्मी में, चक्रवात में खड़ा रहना पड़ता है। क्यों? हम... हम दोनों, हम जीव हैं। उसे यह शरीर क्यों मिला है, मुझे यह शरीर मिला है, और किसी और का शरीर मुझसे बेहतर होगा। जीवन की इतनी सारी, ८,४००,००० प्रजातियां और अलग-अलग स्थिति क्यों हैं? यह क्यों है? ऐसी कोई पूछताछ नहीं है। ऐसा कोई ज्ञान नहीं है। इसलिए उन्हें यहाँ अंधा के रूप में वर्णित किया गया है, अंधा।"
751004 - प्रवचन श्री.भा. ०७.०५.३१ - मॉरिशस