HI/670504 - मालती को लिखित पत्र, न्यू यॉर्क: Difference between revisions
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कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। मैं २५ अप्रैल,१९६७ के आपके पत्र की प्राप्ति में हूँ, और उसमें व्यक्त की गई भावना को जानकर मुझे बहुत खुशी हुई। आप बहुत ईमानदार लड़की हैं और आपकी संवेदना भी बहुत अच्छी है। व्यक्ति को हमेशा बहुत विनम्र महसूस करना चाहिए, इससे कृष्ण | कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। मैं २५ अप्रैल,१९६७ के आपके पत्र की प्राप्ति में हूँ, और उसमें व्यक्त की गई भावना को जानकर मुझे बहुत खुशी हुई। आप बहुत ईमानदार लड़की हैं, और आपकी संवेदना भी बहुत अच्छी है। व्यक्ति को हमेशा बहुत विनम्र महसूस करना चाहिए, इससे कृष्ण भावनामृत में प्रगति करने में मदद मिलेगी। तो आपकी विनम्र भावना कि आप भ्रम से घिर गयी हैं बहुत अच्छा है, साथ ही आपकी भावना यह है कि कृष्ण भावनामृत इतनी अच्छी है कि यह सब कुछ आसान बनाती है। <br/> | ||
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आप चाहते है की मैं १ जून तक सैन फ्रांसिस्को लोट | आप चाहते है की मैं १ जून तक सैन फ्रांसिस्को लोट आऊं। अगर कृष्ण चाहें, तो यह असंभव नहीं है। मेरा कार्यक्रम मॉन्ट्रियल जाने का था, लेकिन वीजा के बारे में कुछ कठिनाई है इसलिए मैं मॉन्ट्रियल नहीं जा सकता, और अगर मैं नहीं जाता तो मेरे लिए १ जून तक सैन फ्रांसिस्को लौटना मुश्किल नहीं होगा। यदि मैं १ जून तक उधर (मॉन्ट्रियल) नहीं होता हूँ, तो १ जुलाई तक मुझे वहाँ (सैन फ्रांसिस्को) होना चाहिए। आपका बहुत बहुत धन्यवाद। <br/> | ||
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आपका नित्य शुभचिंतक, <br/> | आपका नित्य शुभचिंतक, <br/> | ||
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ए.सी. भक्तिवेदांता स्वामी <br/> | ए.सी. भक्तिवेदांता स्वामी <br/> |
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अंतराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ
२६ पंथ, न्यूयॉर्क, एन.वाई. १०००३
टेलीफोन: ६७४-७४२८
आचार्य :स्वामी ए.सी. भक्तिवेदांत
मई १,१९६७
समिति:
लैरी बोगार्ट
जेम्स एस. ग्रीन
कार्ल एयरगन्स
राफेल बालसम
रॉबर्ट लेफ्कोविट्ज़
रेमंड मराइस
माइकल ग्रांट
हार्वे कोहेन
मई १,१९६७
मेरे प्रिय मालती,
कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। मैं २५ अप्रैल,१९६७ के आपके पत्र की प्राप्ति में हूँ, और उसमें व्यक्त की गई भावना को जानकर मुझे बहुत खुशी हुई। आप बहुत ईमानदार लड़की हैं, और आपकी संवेदना भी बहुत अच्छी है। व्यक्ति को हमेशा बहुत विनम्र महसूस करना चाहिए, इससे कृष्ण भावनामृत में प्रगति करने में मदद मिलेगी। तो आपकी विनम्र भावना कि आप भ्रम से घिर गयी हैं बहुत अच्छा है, साथ ही आपकी भावना यह है कि कृष्ण भावनामृत इतनी अच्छी है कि यह सब कुछ आसान बनाती है।
आप चाहते है की मैं १ जून तक सैन फ्रांसिस्को लोट आऊं। अगर कृष्ण चाहें, तो यह असंभव नहीं है। मेरा कार्यक्रम मॉन्ट्रियल जाने का था, लेकिन वीजा के बारे में कुछ कठिनाई है इसलिए मैं मॉन्ट्रियल नहीं जा सकता, और अगर मैं नहीं जाता तो मेरे लिए १ जून तक सैन फ्रांसिस्को लौटना मुश्किल नहीं होगा। यदि मैं १ जून तक उधर (मॉन्ट्रियल) नहीं होता हूँ, तो १ जुलाई तक मुझे वहाँ (सैन फ्रांसिस्को) होना चाहिए। आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
आपका नित्य शुभचिंतक,
ए.सी. भक्तिवेदांता स्वामी
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