HI/731102 बातचीत - श्रील प्रभुपाद दिल्ली में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
(Created page with "Category:HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी Category:HI/अमृत वाणी - १९७३ Category:HI/अम...") |
No edit summary |
||
Line 2: | Line 2: | ||
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९७३]] | [[Category:HI/अमृत वाणी - १९७३]] | ||
[[Category:HI/अमृत वाणी - दिल्ली]] | [[Category:HI/अमृत वाणी - दिल्ली]] | ||
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/731102R1-DELHI_ND_01.mp3</mp3player>|"इस | <!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE --> | ||
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/731101c प्रवचन - श्रील प्रभुपाद दिल्ली में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|731101c|HI/731103 बातचीत - श्रील प्रभुपाद दिल्ली में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|731103}} | |||
<!-- END NAVIGATION BAR --> | |||
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/731102R1-DELHI_ND_01.mp3</mp3player>|"इस भगवद्गीता ग्रंथ में राजनीति, समाजशास्त्र, धर्म, सभी दर्शनएवं शास्त्र समाहित है। इसलिए इस संस्कृति का प्रसार किया जाना चाहिए; यह भारत की संस्कृति है, इस मूल संस्कृति का प्रसार किया जाना चाहिए। और हम इसका प्रयास कर रहे हैं। तथा यह प्रयास सफल हो रहा है।"|Vanisource:731102 - Conversation - Delhi|731102 - बातचीत - दिल्ली}} |
Latest revision as of 04:17, 24 December 2021
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"इस भगवद्गीता ग्रंथ में राजनीति, समाजशास्त्र, धर्म, सभी दर्शनएवं शास्त्र समाहित है। इसलिए इस संस्कृति का प्रसार किया जाना चाहिए; यह भारत की संस्कृति है, इस मूल संस्कृति का प्रसार किया जाना चाहिए। और हम इसका प्रयास कर रहे हैं। तथा यह प्रयास सफल हो रहा है।" |
731102 - बातचीत - दिल्ली |