HI/710907 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लंडन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"कोई भी वृद्ध नहीं बनना चाहता, वह वृद्ध हो रहा है। कोई भी जन्म नहीं लेना चाहता है . . . बेशक, यह बहुत उच्च स्तर है। ज्ञानी, वे मुक्ति चाहते हैं; यह भी संभव नहीं है। अपितु कृष्णा क्यों कहते हैं, (भ. गी. ७.१९)? मृत्यु को रोकना, जन्म को रोकना तब तक संभव नहीं है जब तक कोई कृष्ण भावनामृत में नहीं आता। जब तक कोई कृष्ण से प्रेम करने के स्तर पर नहीं आता, तब तक आज़ादी का कोई सवाल ही नहीं है। यही है प्रकृति का नियम।"
710907 - प्रवचन दीक्षा अंश - लंडन