HI/740123 - श्रील प्रभुपाद होनोलूलू में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
(No difference)

Latest revision as of 03:43, 10 February 2022

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"यदि कोई वास्तव में कृष्ण भावनाभावित है, तो ये गुण उसके व्यक्तित्व में दिखाई देंगे। यस्यास्ति भक्तिर भगवती अकिनचना सर्वैर गुनै: तत्र समासते सुर: (श्री. भा. ५.८.१२)। यही परीक्षा है। अगर कोई वास्तव में कृष्ण भावनामृत में अग्रसर है, तो आपको उसमें कोई दोष नहीं मिलेगा। ये है कृष्ण भावनामृत। यस्यास्ति भक्तिर भगवती अकिंचना। अगर किसी किसी को लीला पुरुषोत्तम के प्रति अटूट विश्वास और भक्ति है-यस्यास्ति भक्तिर भगवती अकिनचना सर्वैर गुनै:—सभी अच्छे गुण। ये अच्छे गुण हैं, जिनका उल्लेख यहां किया गया है: सत्यम शौचम, शमो दम: संतोष आर्जवं, साम्यं, इतने सारे, वैष्णव के छब्बीस अच्छे गुण। ये अच्छे गुण प्रकट होंगे। तब हम समझते हैं, "ओह, यहाँ वास्तव में एक शुद्ध भक्त है।"
740123 - प्रवचन श्री. भा. ०१.१६.२५ ३० - होनोलूलू