HI/750210 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"तो कृष्ण ने कहा कि "लाखों लाखों साल पहले, जब मैंने सूर्य-देवता से इस तत्त्व की बात की थी, तुम भी उपस्थित थे, क्योंकि तुम मेरे घनिष्ठ मित्र हो । जब भी मैं अवतरित हूँ, तुम भी वहाँ मौजूद होते हो। लेकिन फर्क इतना है कि तुम भूल गए हो; मुझे याद है कि मैंने ऐसा कहा था।"

तो कृष्ण और साधारण जीव में यही अंतर है। कृष्ण को सब कुछ याद है, सब कुछ जानते हैं। वेदाहं समतितानी (भ. गी. ७.२६): "मैं सब कुछ जानता हूं।" वह है कृष्ण । लेकिन हम नहीं जानते। यही अंतर है। कृष्ण अवैयक्तिक नहीं हैं । वह भी एक व्यक्ति हैं, लेकिन वह हमारे जैसा व्यक्ति नहीं है, आप जैसा, मेरे जैसा। उनका व्यक्तित्व सर्वोच्च है। उनसे बड़ा कोई नहीं। न तस्य कार्यम करणम च विद्यते न तत-समस चाभ्यधिकस च द्र्स्यते (श्वेताश्वतर उपनिषद ६.८)। ये वैदिक जानकारी हैं।"

750210 - प्रवचन श्री. भा. ०२.०८.०७ - लॉस एंजेलेस