HI/660527 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 07:17, 27 February 2022
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
मृत्यु के समय, आप जो भी विचार करते हो, उसका मतलब है आप अपने अगले जन्म का निर्माण कर रहे हो। इसलिए, अपने संपूर्ण जीवन को इस प्रकार निर्मित करो कि, अंत समय में हम कम से कम श्री कृष्ण का स्मरण कर सकें। तब निःसंदेह और निश्चित रूप से कृष्ण के धाम लौट पायेंगे। यह अभ्यास नियमित रूप से करना है। क्योंकि, अभी हम शारीरिक रूप से स्वस्थ (ओजस्वी और बलशाली) हैं और हमारी चेतना सही दिशा में तल्लीन है। अत: इन्द्रियतृप्ति के अनेक विषयों में समय नष्ट करने के स्थान पर, यदि हम कृष्ण भावना के चिन्तन में लगायें, तो इसका अर्थ है, कि हम इस भौतिक जगत के सभी कष्टों से मुक्त होने का समाधान ढूँढ रहे हैं । सदैव कृष्ण चिन्तन में तल्लीन रहना, यही कृष्ण भावनामृत की विधि है । |
660527 - प्रवचन भ.गी. ३.१७-२० - न्यूयार्क |