HI/750304 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद डलास में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
""मैं एक लंगड़ा आदमी हूँ ।" मम मंद-गति: "मैं बहुत धीमा मंद हूँ, इसलिए मैं मदन-मोहन के चरण कमलों की शरण लेता हूँ।" यही हमारा कार्य है। कृष्ण भावनामृत आंदोलन दुनिया भर में यही तत्त्व सिखा रहा है, कि आपका पहला और सबसे महत्वपूर्ण कार्य कृष्ण भावनाभावित बनना है। तथाकथित आर्थिक विकास, इन्द्रियतृप्ति का कोई सवाल ही नहीं है। नहीं। ये महत्वपूर्ण चीजें नहीं हैं। कई मिशनरी हैं, वे अस्पताल खोलते हैं या इसी तरह की परोपकारी गतिविधियाँ करते हैं, लेकिन हम ऐसा कभी नहीं करते। इतने सारे दोस्तों ने मुझे कुछ अस्पताल, औषधालय खोलने की सलाह दी। ओह, मैंने सपाट रूप से कहा कि "हमें अस्पतालों में कोई दिलचस्पी नहीं है।" इतने सारे अस्पताल हैं। इसलिए जो लोग अस्पतालों में रुचि रखते हैं, वे वहाँ जा सकते हैं। यहाँ आध्यात्मिक अस्पताल है। बीमारी यह है, दूसरा अस्पताल, वे मौत को नहीं रोक सकते, लेकिन हमारा अस्पताल मौत को रोक सकता है।"
750304 - प्रवचन चै .च. आदि ०१.१५ - डलास