HI/750329 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मायापुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
(Created page with "Category:HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी Category:HI/अमृत वाणी - १९७५ Category:HI/अ...") |
(No difference)
|
Latest revision as of 15:17, 11 May 2022
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"इदं कृत्स्नं जगत: "सभी भौतिक अभिव्यक्ति।" भौतिक अभिव्यक्ति का अर्थ है ये भौतिक ब्रह्मांड। वे कई हैं। यह ब्रह्मांड, जो हम देखते हैं, केवल एक, आकाश, आवरण, लेकिन कई लाखों ब्रह्मांड हैं। यस्य प्रभा प्रभवतो जगद-अंड-कोटि (ब्र. सं. ५.४०)। कोटि का अर्थ है लाखों। जगद-अंड। जगद-अंड का अर्थ है ब्रह्मांड। तो कृष्ण कहते हैं कि "भौतिक जगत में ये सभी ब्रह्मांड मेरी एक-चौथाई शक्ति का प्रदर्शन है।" जरा अनुमान लगाइये कृष्ण की शक्ति क्या है। एकंशेना स्थितो जगत। और हम कृष्ण की नकल करने की कोशिश कर रहे हैं। इतने सारे मूढ़ा , वे घोषणा करते हैं कि वे भगवान हैं। वे नहीं जानते कि भगवान क्या है। भगवान . . . महा-विष्णु की श्वास लेने से, ये ब्रह्मांड निकल रहे हैं, असंख्य ब्रह्मांड निकल रहे हैं।" |
750329 - प्रवचन चै. च. अदि ०१.०५ - मायापुर |