HI/680310 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
(Created page with "Category:HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी Category:HI/अमृत वाणी - १९६८ Category:HI/अ...") |
No edit summary |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 2: | Line 2: | ||
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६८]] | [[Category:HI/अमृत वाणी - १९६८]] | ||
[[Category:HI/अमृत वाणी - सैन फ्रांसिस्को]] | [[Category:HI/अमृत वाणी - सैन फ्रांसिस्को]] | ||
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680310IN-SAN_FRANCISCO_ND_01.mp3</mp3player>|" | <!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE --> | ||
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/680309b बातचीत - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|680309b|HI/680310b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|680310b}} | |||
<!-- END NAVIGATION BAR --> | |||
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680310IN-SAN_FRANCISCO_ND_01.mp3</mp3player>|"दीक्षा का अर्थ शुद्धिकरण है। इस भौतिक जगत में हम सभी अशुद्ध हैं। क्योंकि हम अशुद्ध हैं, इसलिए जन्म, मृत्यु, व्याधि, वृद्धावस्था और जन्म की वेदनाऍं हम पर हावी हैं। जैसे रोगग्रस्त स्थिति में - हमें अनुभव है - बहुत सारी दर्दनाक स्थितियां होती हैं, इसी प्रकार, जीवन के इस भौतिकवादी व्यवहार में यह जन्म, मृत्यु, व्याधि और वृद्धावस्था, ये विभिन्न प्रकार के दुख हैं। मूढ़, भौतिकवादी, वे सोच रहे हैं कि वे उन्नति कर रहे हैं, परंतु उनके पास इन समस्याओं का कोई समाधान नहीं है।"|Vanisource:680310 - Lecture Initiation - San Francisco|680310 - प्रवचन दीक्षा - सैन फ्रांसिस्को}} |
Latest revision as of 04:54, 19 May 2022
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"दीक्षा का अर्थ शुद्धिकरण है। इस भौतिक जगत में हम सभी अशुद्ध हैं। क्योंकि हम अशुद्ध हैं, इसलिए जन्म, मृत्यु, व्याधि, वृद्धावस्था और जन्म की वेदनाऍं हम पर हावी हैं। जैसे रोगग्रस्त स्थिति में - हमें अनुभव है - बहुत सारी दर्दनाक स्थितियां होती हैं, इसी प्रकार, जीवन के इस भौतिकवादी व्यवहार में यह जन्म, मृत्यु, व्याधि और वृद्धावस्था, ये विभिन्न प्रकार के दुख हैं। मूढ़, भौतिकवादी, वे सोच रहे हैं कि वे उन्नति कर रहे हैं, परंतु उनके पास इन समस्याओं का कोई समाधान नहीं है।" |
680310 - प्रवचन दीक्षा - सैन फ्रांसिस्को |