HI/680310 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680310IN-SAN_FRANCISCO_ND_01.mp3</mp3player>|"तो इस दीक्षा का अर्थ शुद्धिकरण है। इस भौतिक दुनिया में हम सभी अशुद्ध हैं। क्योंकि हम अशुद्ध हैं, इसलिए मृत्यु, व्याधि, वृद्धावस्था और जन्म की वेदनाऍं हम पर काबू हैं। जैसे रोगग्रस्त स्थिति में - हमें अनुभव है - बहुत सारी दर्दनाक स्थितियां होती हैं, इसी तरह, जीवन के इस भौतिकवादी तरीके में ये लक्षण, जन्म, मृत्यु, व्याधि और वृद्धावस्था, ये विभिन्न प्रकार के दुख हैं। मूढ़, भौतिकवादी, वे सोच रहे हैं कि वे उन्नति कर रहे हैं, परंतु उनके पास इन चीजों का कोई कोई समाधान नहीं है।"|Vanisource:680310 - Lecture Initiation - San Francisco|680310 - प्रवचन दीक्षा - सैन फ्रांसिस्को}}
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Latest revision as of 04:54, 19 May 2022

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"दीक्षा का अर्थ शुद्धिकरण है। इस भौतिक जगत में हम सभी अशुद्ध हैं। क्योंकि हम अशुद्ध हैं, इसलिए जन्म, मृत्यु, व्याधि, वृद्धावस्था और जन्म की वेदनाऍं हम पर हावी हैं। जैसे रोगग्रस्त स्थिति में - हमें अनुभव है - बहुत सारी दर्दनाक स्थितियां होती हैं, इसी प्रकार, जीवन के इस भौतिकवादी व्यवहार में यह जन्म, मृत्यु, व्याधि और वृद्धावस्था, ये विभिन्न प्रकार के दुख हैं। मूढ़, भौतिकवादी, वे सोच रहे हैं कि वे उन्नति कर रहे हैं, परंतु उनके पास इन समस्याओं का कोई समाधान नहीं है।"
680310 - प्रवचन दीक्षा - सैन फ्रांसिस्को