HI/680724 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680724IN-MONTREAL_ND_01.mp3</mp3player>| | {{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680724IN-MONTREAL_ND_01.mp3</mp3player>|यह भागवत-धर्म बहुत अच्छा है, यह सार्वभौमिक है, इसे सभी स्वीकार कर सकते है। दुर्भाग्य से, इतने लंबे समय तक इस भागवत-धर्म का कोई प्रचार नहीं किया गया। भगवान कृष्ण, चैतन्य महाप्रभु की कृपा से, भागवत-धर्म का अब पश्चिमी देशों में भी विस्तार किया जा रहा है। मुझे बहुत प्रसन्नता है कि विश्व के प्रत्येक हिस्से से बालक एवं बालिकाएं भी इसे अपना रही हैं, तथा वे अच्छी तरह से जप और नियमों का पालन कर रहे हैं।|Vanisource:680724 - Lecture Initiation of Jayapataka Dasa - Montreal|680724 - प्रवचन जयपताका दास दीक्षा - मॉन्ट्रियल}} |
Latest revision as of 09:03, 12 June 2022
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
यह भागवत-धर्म बहुत अच्छा है, यह सार्वभौमिक है, इसे सभी स्वीकार कर सकते है। दुर्भाग्य से, इतने लंबे समय तक इस भागवत-धर्म का कोई प्रचार नहीं किया गया। भगवान कृष्ण, चैतन्य महाप्रभु की कृपा से, भागवत-धर्म का अब पश्चिमी देशों में भी विस्तार किया जा रहा है। मुझे बहुत प्रसन्नता है कि विश्व के प्रत्येक हिस्से से बालक एवं बालिकाएं भी इसे अपना रही हैं, तथा वे अच्छी तरह से जप और नियमों का पालन कर रहे हैं। |
680724 - प्रवचन जयपताका दास दीक्षा - मॉन्ट्रियल |