HI/680803 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680803SB-MONTREAL_ND_01.mp3</mp3player>|जीवन का वास्तविक उद्देश्य है कैसे संतुष्टि, पूर्ण संतुष्टि, प्राप्त | {{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680803SB-MONTREAL_ND_01.mp3</mp3player>|जीवन का वास्तविक उद्देश्य है कैसे संतुष्टि, पूर्ण संतुष्टि, प्राप्त करें। वह संतुष्टि, पूर्ण संतुष्टि, भक्तिमय सेवा के अभियोग से ही प्राप्त की जा सकती है। कोई दूसरी विधि नहीं है। यदि आप प्रसन्न रहना चाहते हैं, सभी परवाह और चिंताओं से मुक्त रहना चाहते हैं, तो आपको स्वयं को भगवान की भक्तिमय सेवा में संलग्न करना होगा। यह आपको सभी भौतिक चिंताओं और सभी भौतिक दुखों से मुक्त कर देगा।|Vanisource:680803 - Lecture SB 01.02.06 - Montreal|680803 - प्रवचन श्री.भा. १.२.६ - मॉन्ट्रियल}} |
Latest revision as of 18:11, 14 June 2022
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
जीवन का वास्तविक उद्देश्य है कैसे संतुष्टि, पूर्ण संतुष्टि, प्राप्त करें। वह संतुष्टि, पूर्ण संतुष्टि, भक्तिमय सेवा के अभियोग से ही प्राप्त की जा सकती है। कोई दूसरी विधि नहीं है। यदि आप प्रसन्न रहना चाहते हैं, सभी परवाह और चिंताओं से मुक्त रहना चाहते हैं, तो आपको स्वयं को भगवान की भक्तिमय सेवा में संलग्न करना होगा। यह आपको सभी भौतिक चिंताओं और सभी भौतिक दुखों से मुक्त कर देगा। |
680803 - प्रवचन श्री.भा. १.२.६ - मॉन्ट्रियल |