HI/750423b सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद वृंदावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
(Created page with "Category:HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी Category:HI/अमृत वाणी - १९७५ Category:HI/अ...") |
(No difference)
|
Latest revision as of 11:59, 8 August 2022
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"अतिथि: इस्कॉन ने किसी भी सरकार से बेहतर किया है। दस वर्षों में इस्कॉन ने जो किया है, वह किसी अन्य सरकार ने नहीं किया है।
प्रभुपाद: हाँ। अमेरिका में भी वे हैरान हैं। हमारे लॉस एंजेलिस मंदिर में हमारे भक्तों से दुकानदार पूछते हैं कि "आप कैसे अनुरक्षण कर रहे हैं? आप काम नहीं करते हैं। आपके पास बहुत सारी मोटर कार है। आप अच्छा खा रहे हैं। आप बहुत अच्छी इमारत में रहते हैं। आपको कैसे प्रदान किया जाता है?" वे हैरान हैं। त्रिपुरारी: वे सोचते हैं कि हम परजीवी हैं, यद्यपि । अतिथि: हाँ, यह एक और प्रभाव है, लेकिन फिर हमें इसे सुलझाना होगा। प्रभुपाद: ठीक है, परजीवी या नहीं, लेकिन हम काम करके भोजन प्राप्त नहीं कर रहे हैं। त्रिपुरारी: वे कहते हैं क्योंकि हम उनसे भीख माँग रहे हैं। वे हमारे लिए खरीद रहे हैं। प्रभुपाद: तो आप बंद क्यों नहीं करते ? आप हमें देने के लिए मजबूर हैं। आप बंद करिये। अगर हम आपसे भीख मांग रहे हैं, तो आप इसे बंद करिये। लेकिन आप बंद नहीं कर सकते। (हंसी) आपको हमें देना होगा। हम दिखा रहे हैं कि हम भिखारी हैं, लेकिन हम कर लगा रहे हैं, आपसे कर मांग रहे हैं। आप जो चाहें सोच सकते हैं। माखनलाल : सरकार भी भीख मांग रही है। प्रभुपाद: हाँ । नहीं, अगर हम भीख मांग रहे हैं, तो आप इसे बंद कर दें। ये आपके हाथ में है। हम आप पर निर्भर नहीं कर रहे हैं।" |
750423 - सुबह की सैर - वृंदावन |