HI/750520c सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद मेलबोर्न में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"आपको उन्हें समझाना होगा। वे आपको नहीं बुला रहे हैं, "मैं पीड़ित हूं। कृपया आओ," लेकिन यह आपका दायित्व है कि आप जाएं और उन्हें बताएं कि "आप पीड़ित हैं। आप यह तरीका अपनाओ।" यह कृष्ण द्वारा बहुत जल्दी पहचाने जाने का तरीका है। अन्यथा, अगर आप सोचते हैं, "वे समझ नहीं रहे हैं। वहां जाने का क्या फायदा? मुझे सोने दो," यह अच्छा नहीं है। वे समझ नहीं रहे हैं, फिर भी, आपको जाना होगा। तब कृष्ण ले लेंगे कि "वह मेरे लिए इतनी मेहनत कर रहे हैं।" कोई बात नहीं वह सफल है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता । लेकिन आप कृष्ण के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। यह नोट किया गया है। तो हमारे दायित्व कृष्ण द्वारा पहचाना जाना है। चाहे एक आदमी परिवर्तित हो या परिवर्तित न हो, यह हमारा दायित्व नहीं है। हम अपनी पूरी कोशिश करेंगे। लेकिन कृष्ण की नज़र में मैं कृष्ण को सेवा दे रहा हूँ। बस इतना ही। उसकी ज़रुरत है। ऐसा नहीं है कि आपको यह निर्णय लेना है कि आप इतने जीवों से संपर्क कर चुके हैं, कोई भी कृष्ण भावनाभावित नहीं हुआ। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन आप वहाँ गए हो।
आपने ईमानदारी से प्रयास किया है। यह कृष्ण द्वारा पहचाना जाता है।" |
750520 - सुबह की सैर - मेलबोर्न |