HI/750615b बातचीत - श्रील प्रभुपाद होनोलूलू में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"कीर्तनाद एव कृष्णस्य
मुक्त-संग परम व्रजेत (श्री. भा. १२.३.५१) केवल हरे कृष्ण का जप करने से कोई भी अपने सभी संदूषण से मुक्त हो सकता है और घर वापस जा सकता है, भागवत धाम वापस जा सकता है। यह है कलियुग का विशेष लाभ। यह लाभ नहीं है . . . तो अगर किसी ने इस कृष्ण भावनामृत आंदोलन, जप को अपनाया है, तो वह सुरक्षित है। न केवल सुरक्षित-वह वापस घर जाता है, भागवत धाम वापस जाता है। न केवल सुरक्षित है, बल्कि उसे दूसरी जगह भेज दिया जाता है, जहां कोई खतरा नहीं होता है। पदं पदम् यद विपदाम न तेषां (श्री. भा. १०.१४.५८)। जीव् को आध्यात्मिक जगत में स्थानांतरित कर दिया जाता है, उनके लिए, यह निरर्थक भौतिक दुनिया, जहां हर कदम पर खतरा है, यह उनके लिए नहीं है। वे नहीं आ सकते। जैसे यहां महामारी है, वैसे ही एक परिवार को दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया जाता है। तो हरे कृष्ण के इस जप से, कृष्ण सुरक्षित स्थान पर भेज देंगे, घर वापस, भागवत धाम वापस। यह कितना अच्छा है।" |
750615 - वार्तालाप बी - होनोलूलू |