HI/750618 बातचीत - श्रील प्रभुपाद होनोलूलू में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
(No difference)

Latest revision as of 16:17, 27 September 2022

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"सर्वश्रेष्ठ बुद्धि यह है कि कृष्ण भावनाभावित कैसे बनें। बस। यही सर्वोत्तम बुद्धि है, अन्यथा गतिविधि के हर क्षेत्र में बुद्धि की आवश्यकता होती है। बुद्धि के बिना वह प्रगति नहीं कर सकता। इसलिए बुद्धि का सबसे अच्छा उपयोग कृष्ण भावनाभावित बनना और जीवन को सफल बनाना है। । यही वास्तविक बुद्धि है। कृष्ण ये भजे से बड़ा चतुरा: जो कोई भी कृष्ण भावनाभावित है, वह प्रथम श्रेणी का व्यक्ति है। यही जीवन का समाधान है। अन्यथा, आप बहुत बुद्धिमान हो जाते हैं-आपको कुछ पैसे मिलते हैं, आपको कुछ प्रतिष्ठा मिलती है, कुछ अधिकार-तो वह क्या है? मृत्यु के बाद सब कुछ समाप्त हो जाता है, वह नहीं रहेगा।

फिर आप एक और अध्याय लाते हैं, फिर से संघर्ष करते हुए-या तो इंसान या बिल्ली, कुत्ता या पेड़ या ऐसा ही। वह प्रकृति का नियम है; आप इससे बच नहीं सकते।"

750618 - वार्तालाप - होनोलूलू