HI/750626b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
(Created page with "Category:HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी Category:HI/अमृत वाणी - १९७५ Category:HI/अ...") |
(No difference)
|
Latest revision as of 13:30, 4 October 2022
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"हम परोपकारी व्यक्ति बन जाते हैं, लेकिन क्या हमारे पास कोई साधन है कि "जो कोई भी आए, मैं दान दे सकता हूं"? नहीं। यह संभव नहीं है। इसलिए पराशर मुनि ने भगवान की परिभाषा दी है। वह क्या है?
यह परिभाषा है। वो क्या है? ऐश्वर्य का अर्थ है धन, दौलत। घर में या बैंक में सभी के पास दौलत है, कुछ पैसा है। तो आपके पास दो मिलियन डॉलर हो सकते हैं; मेरे पास दस डॉलर हो सकते हैं; आपके पास सौ डॉलर हो सकते हैं। सबके पास कुछ न कुछ दौलत है। ऐसा माना जाता है। लेकिन कोई यह नहीं कह सकता कि "मेरे पास सारी दौलत है।" यह संभव नहीं है। अगर कोई कह सकता है कि "मेरे पास सारी दौलत है," तो वह भगवान है। वह कृष्ण द्वारा मौखिक की जाती है । दुनिया के इतिहास में किसी ने नहीं कहा। कृष्ण ने कहा, भोक्तारां यज्ञ-तपसां सर्व-लोक-महेश्वरम ([[[Vanisource:BG 5.29 (1972)|भ. गी. ५ .२९]]): "मैं हर चीज का भोक्ता हूं, और मैं सभी ब्रह्मांड का मालिक हूं।" ऐसा कौन कह सकता है? वही भगवान है।" |
750626 - प्रवचन श्री. भा. ०६.०१.१३-१४ - लॉस एंजेलेस |