HI/690610 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यू वृन्दावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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{{Audiobox_NDrops|Nectar Drops from Srila Prabhupada|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690610SB-NEW_VRINDABAN_ND_01.mp3</mp3player>|प्रारंभ में हम अपराधयुक्त जप करते है - दस प्रकार के | {{Audiobox_NDrops|Nectar Drops from Srila Prabhupada|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690610SB-NEW_VRINDABAN_ND_01.mp3</mp3player>|प्रारंभ में हम अपराधयुक्त जप करते है - दस प्रकार के अपराध। परंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि हम जप नहीं करेंगे। यदि अपराध भी हैं, हम फिर भी जप करते रहेंगे। जप करने से हमें सभी अपराधों से मुक्त होने में सहायता मिलेगी। अवश्य, हमें ध्यान रखना चाहिए कि हम अपराध न करे। इसलिए दस प्रकार के अपराधों की यह सूची दी गई है। हमें इससे बचने का प्रयास करना चाहिए। और जैसे ही अपराधमुक्त जप होता है, तो व्यक्ति मुक्त अवस्था पर पहुंच जाता है। यह मुक्त अवस्था है। और मुक्त अवस्था के उपरांत, जप अत्यधिक आनंद दायक होगा क्योंकि यह दिव्य अवस्था है तत्पश्चात भगवान के वास्तविक प्रेम का आभास किया जाएगा।|Vanisource:690610 - Lecture SB 01.05.11 - New Vrindaban, USA|690610 - प्रवचन श्री.भा. १.५.११ - न्यू वृन्दावन - अमरीका}} |
Latest revision as of 11:37, 15 October 2022
Nectar Drops from Srila Prabhupada |
प्रारंभ में हम अपराधयुक्त जप करते है - दस प्रकार के अपराध। परंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि हम जप नहीं करेंगे। यदि अपराध भी हैं, हम फिर भी जप करते रहेंगे। जप करने से हमें सभी अपराधों से मुक्त होने में सहायता मिलेगी। अवश्य, हमें ध्यान रखना चाहिए कि हम अपराध न करे। इसलिए दस प्रकार के अपराधों की यह सूची दी गई है। हमें इससे बचने का प्रयास करना चाहिए। और जैसे ही अपराधमुक्त जप होता है, तो व्यक्ति मुक्त अवस्था पर पहुंच जाता है। यह मुक्त अवस्था है। और मुक्त अवस्था के उपरांत, जप अत्यधिक आनंद दायक होगा क्योंकि यह दिव्य अवस्था है तत्पश्चात भगवान के वास्तविक प्रेम का आभास किया जाएगा। |
690610 - प्रवचन श्री.भा. १.५.११ - न्यू वृन्दावन - अमरीका |