HI/750709e सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद शिकागो में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"हर कोई भक्त बन सकता है। (विराम) . . . योनी, वे भी पूर्ण भक्त बन सकते हैं। (विराम ) यह भगवान की शक्ति है। वह बिना किसी सोच-विचार किसी का भी उद्धार कर सकते हैं। इसलिए पंडित सम-दर्शिन: है। वह ये विभाजन नहीं करते हैं। वह देखते हैं कि "वह आत्मा है। तो उसका उद्धार हो जाए।" बस इतना ही। पंडिता: सम-दर्शिनाः (भ. गी. ५.१८)। भौतिक रूप से विभाजन है: वह काला है, वह गोरा है, वह यह है, वह वो है। यह भौतिक है। आध्यात्मिक रूप से, कोई विभाजन नहीं है। एक। (विराम) वे, जिसे कहा जाता है, आध्यात्मिक विभाजन भी बनाते हैं। यह उनकी मूर्खता है। आध्यात्मिक रूप से कोई विभाजन नहीं है। समः सर्वेषु भूतेषु मद भक्तिम लभते परम (भ. गी. १८.५४)।" |
750709 - सुबह की सैर - शिकागो |