HI/750717 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"अब यहाँ हम श्रीमद-भागवतम या भगवद गीता का अध्ययन कर रहे हैं। यह है . . . यह साहित्य हंसों के लिए है, कौवों के लिए नहीं। यही विभाजन है। और अन्य साहित्य, यौन साहित्य और ये आपराधिक साहित्य-इतने सारे साहित्य हैं- वे कौवों, कौवों वर्ग-के-पुरुषों के लिए है। और यह साहित् हंस वर्ग के पुरुषों, हंस, परमहंस के लिए है। हम भी पढ़ रहे हैं . . . हमें अखबार की ढेर में कोई दिलचस्पी नहीं है। हमें श्रीमद-भागवतम में रुचि है। क्यों? क्योंकि इस साहित्य के भीतर पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान की महिमा है, कैसे वे पूरे ब्रह्मांड का संचालन कर रहे हैं, कैसे उनके आदेश से सूर्य ठीक समय पर उदय हो रहा है, चंद्रमा ठीक उनके आदेश से उदय हो रहा है, एक मिनट का विचलन नहीं।" |
750717 - प्रवचन श्री. भा. ०६.०१.३२ - सैन फ्रांसिस्को |