HI/700115 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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Latest revision as of 15:33, 30 November 2022

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
एक कुत्ते को मालिक द्वारा जंजीर से बांधा जाता है, परंतु वह सोचता है कि वह बहुत प्रसन्न है। वह यह नहीं सोचता है कि 'मैं पूरी तरह से निर्भर हूं और मैं जंजीर में बंधा हुआ हूँ। मेरे पास कोई स्वतंत्रता नहीं है। मैं स्वतंत्र रूप से नहीं चल सकता।" यँहा तक कि यदि उसकी जंजीर भी निकाल दी जाए, तब भी वह जंजीरो में ही रहना चाहता है। यह माया है। जीवन की किसी भी स्थिति में, हर कोई सोचता है कि वह खुश है। परंतु वास्तव में वह नहीं जानता कि प्रसन्नता क्या है। इसे ही माया कहा जाता है।
700115 - प्रवचन श्री.भा. ६.१.९ - लॉस एंजेलेस