HI/671013 - हंसदूत को लिखित पत्र, कलकत्ता: Difference between revisions

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अक्टूबर १३, १९६७  
१३ अक्टूबर, १९६७


मेरे प्रिय हंसदूत, कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। मुझे आपका ५ अक्टूबर का पत्र मिला है। "पैसा ही शहद है" जहाँ तक कृष्णभावनामृत के लिए प्रयोग किया जाता है। शरीर निस्संदेह एक भौतिक वाहन है लेकिन जब यह कृष्ण भावनामृत के लिए सेवा करता है तो यह आध्यात्मिक हो जाता है। कृष्ण की कृपा से भौतिक ऊर्जा को आध्यात्मिक ऊर्जा में बदला जा सकता है और आध्यात्मिक ऊर्जा कभी नष्ट नहीं होती। कृष्ण चेतना में होना आध्यात्मिक ऊर्जा में होना है। मेरे अगले पत्र में और अधिक। आशा है कि आप अच्छे हैं।<br />
मेरे प्रिय हंसदूत, कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। मुझे आपका ५ अक्टूबर का पत्र मिला है। "पैसा ही शहद है" जहाँ तक कृष्ण भावनामृत के लिए प्रयोग किया जाता है। शरीर निस्संदेह एक भौतिक वाहन है, लेकिन जब यह कृष्ण भावनामृत के लिए सेवा करता है तो यह आध्यात्मिक हो जाता है। कृष्ण की कृपा से भौतिक ऊर्जा को आध्यात्मिक ऊर्जा में बदला जा सकता है, और आध्यात्मिक ऊर्जा कभी नष्ट नहीं होती। कृष्ण चेतना में होना आध्यात्मिक ऊर्जा में होना है। मेरे अगले पत्र में और अधिक। आशा है कि आप अच्छे हैं।<br />
[[File:SP Signature.png|300px]]<br />
[[File:SP Signature.png|300px]]<br />
ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी<br />
ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी<br />
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दामोदर दास अधिकारी<br />
दामोदर दास अधिकारी<br />
हंसदूत दास दासी<br />
हंसदूत दास अधिकारी<br />
जदुरानी देवी दासी<br />
जदुरानी देवी दासी<br />
९५, [अस्पष्ट]<br />
९५, ''[अस्पष्ट]''<br />
६३-इ.-ब्रुकलिन-५४<br />
६३-इ.-ब्रुकलिन-५४<br />
बोस्टन [अस्पष्ट] Mass.<br />
बोस्टन ''[अस्पष्ट]'' मैसाचुसेट्स<br />
यू.एस.ए. ०२११८
यू.एस.ए. ०२११८
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ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी<br />
ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी<br />
सी/ओ मदन दत्ता<br />
सी/ओ मदन दत्ता<br />

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हंसदूत को पत्र (पृष्ठ १ से २)
हंसदूत को पत्र (पृष्ठ २ से २)


१३ अक्टूबर, १९६७

मेरे प्रिय हंसदूत, कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। मुझे आपका ५ अक्टूबर का पत्र मिला है। "पैसा ही शहद है" जहाँ तक कृष्ण भावनामृत के लिए प्रयोग किया जाता है। शरीर निस्संदेह एक भौतिक वाहन है, लेकिन जब यह कृष्ण भावनामृत के लिए सेवा करता है तो यह आध्यात्मिक हो जाता है। कृष्ण की कृपा से भौतिक ऊर्जा को आध्यात्मिक ऊर्जा में बदला जा सकता है, और आध्यात्मिक ऊर्जा कभी नष्ट नहीं होती। कृष्ण चेतना में होना आध्यात्मिक ऊर्जा में होना है। मेरे अगले पत्र में और अधिक। आशा है कि आप अच्छे हैं।

ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी


दामोदर दास अधिकारी
हंसदूत दास अधिकारी
जदुरानी देवी दासी
९५, [अस्पष्ट]
६३-इ.-ब्रुकलिन-५४
बोस्टन [अस्पष्ट] मैसाचुसेट्स
यू.एस.ए. ०२११८


ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी
सी/ओ मदन दत्ता
७५ दुर्गाचरण डॉक्टर गली
कलकत्ता १४
भारत