HI/720714 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लंडन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
(Created page with "Category:HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी Category:HI/अमृत वाणी - १९७२ Category:HI/अमृत वाणी - लंडन {{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/720714SB-LONDON_ND_01.mp3</mp3player>|"हमने देखा है कोई पत्ति...") |
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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"हमने देखा है कोई पत्तियां, कोई पत्ती पेड़ से गिरती है, तो वह धीरे धीरे सूख जाति है, पीली पड जाति है, क्योंकि वह पेड़ से अलग हो चुकी है। वैसे ही जैसे ही आप कृष्ण से अलग हो जाते है, आपके जीवन की यह दशा होती है। वह धीरे धीरे सूख जाता है। वह धीरे धीरे सूख जाता है। यह स्थिति है। तो हम यह कोशिश कर रहे है की इसे वापस जोड़े , मेरे कहने का अर्थ है, इस गिरी हुई पत्ती को पुनः पेड़ से जोड़े। यह संभव है, भौतिक तौर से यह संभव नहीं; किंतु आध्यात्मिक तौर से यह संभव है। तो अगर कोई व्यक्ति पुनः कृष्ण से जुड़ जाता है, वे पुनर्जीवित हो जाते है। बिजली। जैसे ही बिजली का बटन ऑफ कर देते है, तो तब कोई पॉवर नही होती, और यदि उसे ऑन करदे, तो पॉवर वापस आ जाता है। कृष्ण चेतना आंदोलन यही है, स्विच ऑन करने की प्रक्रिया।" |
720714 - प्रवचन श्री.भा. ०१.०१.०४ - लंडन |