HI/660829 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"मृत्यु के ऊपर विजय पाना, यह सबसे बड़ी समस्या थी ... कम से कम पूर्व वैदिक सभ्यता के समय में। ज्ञान में उच्च पद पर आसीन प्रत्येक व्यक्ति का मुख्य कार्य यही था कि मृत्यु पर कैसे विजय प्राप्त की जाए। आज के समय में यह प्रश्न परे हो चुका है , की मृत्यु पर कैसे विजय पाई जाए। "मृत्यु तो होगी ही। जब तक मृत्यु नहीं आती, तब तक मैं जीवन का आनंद और इंद्रियों की तृप्ति का अनुभव करता हु।" वर्तमान समय में यह सभ्यता का मानक बन चुका है। किंतु वास्तविक समस्या यह है की मृत्यु पर विजय कैसे पाई जाए। वह सोचते है ...वैज्ञानिक कहते है " अरे मृत्यु ... मृत्यु पर विजय नही पाई जा सकती। इसे अभी एकतरफ रखो। अभी हम किसी चीज का निर्माण करते है, परमाणु बॉब, ताकि मृत्यू को और तीव्र गति मिल जाए।"यह है वैज्ञानिक उन्नति। मृत्यू तो अटल है, और समस्या... पूर्व में लोग सोचते थे कि मृत्यु पर विजय कैसे पाई जाए, किंतु वर्तमान में यह सोच रहे है की मृत्यु की गति और कैसे बढ़ाई जाए, और इसे वह ज्ञान में उन्नति कहते है।"
660829 - प्रवचन भ.गी ०५.१४-२२ - न्यूयार्क