HI/730109 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"तारो की तरह। जैसे हजारों करोड़ों तारे, वे कुछ नही कर पाते। एक चांद काफी है। एकश्चन्द्रस् तमो हन्ति न च ताराः सहस्रशः। ( चाणक्य पंडित)
तो यह कृष्ण चेतना का आंदोलन, यह आवश्यक नही की हर कोई इसका अनुगामी होगा। यह संभव नहीं, क्योंकि यह बहुत कठिन है। किंतु फिर भी, अगर एक अनुगामी, निष्ठावान अनुगामी, है, फिर यह आंदोलन चलता जायेगा। यह चलता जायेगा । कोई इसे नही रोक सकता।" |
730109 - प्रवचन NOD - बॉम्बे |