HI/760222 - श्रील प्रभुपाद मायापुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

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Latest revision as of 10:19, 15 June 2024

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"अतः जब तक कोई इस भौतिक संसार से घृणा नहीं करता, तब तक यह समझना चाहिए कि उसने अभी तक आध्यात्मिक समझ में प्रवेश नहीं किया है। भक्ति: परेशानुभावो विरक्तिर अन्यत्र स्यात् (श्री. भा. ११.२.४२ )। यह भक्ति की परीक्षा है। यदि कोई भक्ति सेवा के क्षेत्र में प्रवेश कर गया है, तो यह भौतिक संसार उसके लिए बिल्कुल भी रुचिकर नहीं होगा। विरक्ति। अब और नहीं। आर नारे बपा (चैतन्य-भागवत मध्य १३.२२५)।"
760222 - प्रवचन श्री. भा. ०७.०९.१५ - मायापुर