HI/760226 - श्रील प्रभुपाद मायापुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

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बनाइए। यही एकमात्र उपाय है। जब तक आप अपने बच्चों को कृष्ण भावनामृत देकर उन्हें बचाने में माहिर नहीं हो जाते, तब तक आप . . . आपको पिता और माता नहीं बनना चाहिए। यही असली गर्भनिरोधक तरीका है, कि "मैं . . . हम विवाहित हैं, निस्संदेह, पति और पत्नी, लेकिन जब तक हम अपने बच्चों को सुरक्षा देने में सक्षम नहीं हो जाते -अब और मृत्यु नहीं-हमें बच्चे पैदा नहीं करना चाहिए।" यही असली गर्भनिरोधक है।"|Vanisource:760226 - Lecture SB 07.09.19 - Mayapur|760226 - प्रवचन श्री. भा. ०७.०९.१८ - मायापुर}}
"आप अपने परिवार को, अपने समाज को, अपने . . . को सुरक्षा नहीं दे सकते। नहीं, आप नहीं दे सकते। यह संभव नहीं है। उन्हें मरना ही होगा। उन्हें माया के जाल में फँसाया जाना होगा।  
आप उन्हें नहीं बचा सकते। अगर आप उन्हें बचाना चाहते हैं, तो उन्हें कृष्ण भावनाभावित बनाइए। यही एकमात्र उपाय है। जब तक आप अपने बच्चों को कृष्ण भावनामृत देकर उन्हें बचाने में माहिर  
नहीं हो जाते, तब तक आप . . . आपको पिता और माता नहीं बनना चाहिए। यही असली गर्भनिरोधक तरीका है, कि "मैं . . . हम विवाहित हैं, निस्संदेह, पति और पत्नी, लेकिन जब तक  
हम अपने बच्चों को सुरक्षा देने में सक्षम नहीं हो जाते -अब और मृत्यु नहीं-हमें बच्चे पैदा नहीं करना चाहिए।" यही असली गर्भनिरोधक है।"|Vanisource:760226 - Lecture SB 07.09.19 - Mayapur|760226 - प्रवचन श्री. भा. ०७.०९.१८ - मायापुर}}

Latest revision as of 16:32, 16 June 2024

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी

"आप अपने परिवार को, अपने समाज को, अपने . . . को सुरक्षा नहीं दे सकते। नहीं, आप नहीं दे सकते। यह संभव नहीं है। उन्हें मरना ही होगा। उन्हें माया के जाल में फँसाया जाना होगा। आप उन्हें नहीं बचा सकते। अगर आप उन्हें बचाना चाहते हैं, तो उन्हें कृष्ण भावनाभावित बनाइए। यही एकमात्र उपाय है। जब तक आप अपने बच्चों को कृष्ण भावनामृत देकर उन्हें बचाने में माहिर नहीं हो जाते, तब तक आप . . . आपको पिता और माता नहीं बनना चाहिए। यही असली गर्भनिरोधक तरीका है, कि "मैं . . . हम विवाहित हैं, निस्संदेह, पति और पत्नी, लेकिन जब तक हम अपने बच्चों को सुरक्षा देने में सक्षम नहीं हो जाते -अब और मृत्यु नहीं-हमें बच्चे पैदा नहीं करना चाहिए।" यही असली गर्भनिरोधक है।"

760226 - प्रवचन श्री. भा. ०७.०९.१८ - मायापुर