HI/680909- सुबाला को लिखित पत्र, सैन फ्रांसिस्को: Difference between revisions

 
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09 सितम्बर, 1968


मेरे प्रिय सुबाला,

कृपया मेरा आशीर्वाद स्वीकार करें। मैं 1 सितम्बर, 1968 को आपके पत्र की प्राप्ति की सूचना देना चाहता हूँ, और मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई कि आपको पार्क में जाप करने की अनुमति मिल गई है। पहले आपने मुझे प्रेस क्लिपिंग भेजी थी, और मैंने देखा कि कुछ कठिनाई थी, अब कृष्ण की कृपा से आपको अनुमति मिल गई है। इस बात पर ध्यान न दें कि पार्क में बहुत से लोग नहीं आते हैं। लेकिन, यदि आप जाप करेंगे तो बहुत से लोग आएँगे। इससे आपका प्रयास सफल होगा। आपको यह जानकर खुशी होगी कि मैं कल ही सैन फ्रांसिस्को पहुँचा हूँ, और यदि आप चाहें तो मैं एक या दो दिन के लिए सांता फ़े जा सकता हूँ, लेकिन यह बहुत महंगा होगा। क्योंकि मैं वहाँ तीन या चार दिन से अधिक नहीं रह सकता। क्या आपको लगता है कि आप मुझे तीन या चार दिन के लिए आमंत्रित करेंगे, और जब आप कठिनाई में होंगे तो इतना पैसा खर्च करेंगे? इसलिए सोचिए, लेकिन यदि आप चाहें तो मैं वहाँ जा सकता हूँ।

सैन फ्रांसिस्को संकीर्तन पार्टी बहुत बढ़िया काम कर रही है, और मैं समझता हूँ कि वे बहुत बढ़िया तरीके से संग्रह भी कर रहे हैं। और मैं यहाँ इसलिए आया हूँ कि एक स्थायी संकीर्तन पार्टी पूरे देश में यात्रा कर सके। देखते हैं क्या होता है। यहाँ गुजरात प्रांत से आए भारतीय, वे आम तौर पर भगवान कृष्ण के भक्त हैं। वे अपना स्वेच्छा से सहयोग दे रहे हैं। खास तौर पर मैं इस उद्देश्य से आया हूँ कि उन्हें कृष्ण भावनामृत में कैसे शामिल किया जाए।

आशा करता हूँ कि आप स्वस्थ हों,

आपका सदैव शुभचिंतक,

एसीबी