HI/670115 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 04:36, 15 April 2022
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
जिस प्रकार, जहाँ सूरज की रोशनी है, वहाँ अंधकार नहीं हो सकता। यह एक तथ्य है। आप यह नहीं कह सकते, "ओह, सूरज की रोशनी और अंधकार, एक साथ दोनों मौजूद हैं।" नहीं। वास्तव में खुली धूप में कोई अंधकार नहीं हो सकता। ठीक उसी प्रकार, जैसे ही आप कृष्ण भावनाभावित हो जाते हैं, इस भौतिक संसार को समझने में कोई त्रुटि नही हो सकती। इसका अर्थ है कि जितना अधिक आप कृष्ण भावनामृत में आगे बढ़ते हैं, उतना ही आप इस भौतिक संसार की प्रकृति को समझ सकते हैं। |
670115 - प्रवचन चै.च. मध्य २२.२७-३१ - न्यूयार्क |