HI/681201 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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Latest revision as of 03:16, 15 July 2022

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"भगवद गीता" आत्मसमर्पण का निर्देश देती है। "सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज" [भगवद्गीता १८.६६]। तो आत्मसमर्पण के बिना आध्यात्मिक प्रगति करने का कोई प्रश्न ही नहीं है। ठीक उसी तरह जैसे एक व्यक्ति जिसने सरकार के खिलाफ विद्रोह किया है - पहली शर्त समर्पण करना है; अन्यथा सरकार से दया का कोई प्रश्न ही नहीं है। इसी प्रकार कोई भी, जीवात्मा, हममें से कोई भी जिसने भगवान के वर्चस्व के खिलाफ विद्रोह किया है, उसके आध्यात्मिक जीवन का प्रारंभ आत्मसमर्पण है।
व्याख्यान दीक्षा और दस अपराध- - लॉस एंजेलेस