HI/710105b बातचीत - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/710105R1-BOMBAY_ND_02.mp3</mp3player>|कृष्ण एक महिला-शिकारी है। यह रास-लीला कृष्ण का सबसे उच्चतम लीला हैं। लेकिन यहां अगर कोई पुरुष महिला-शिकारी बन जाता है, तो वह सबसे घृणित व्यक्ति होगा। यह लोगों की गलती है: वे कृष्ण को साधारण मनुष्य मानते हैं। अवाजानन्ती मां मूढ़ा ([[HI/BG 9.11|भ.गी. ९.११]]]) वे दुष्ट हैं, मूर्ख हैं, मानुशीम तनुं आश्रितम। इस ज्ञान को सीखना होगा- कैसे कृष्ण सभी परिस्थितियों में संपूर्ण हैं। कृष्ण सिखा रहे हैं, "बस जाओ और द्रोणाचार्य से थोड़ा झूठ बोलो।" अब लोग आश्चर्यचकित होंगे, कि भगवान किसी को कैसे सिखा रहे हैं कि "तुम जाओ और इस झूठ को बोलो"? इसलिए वे हतप्रभ हो जाते हैं। इसलिए हर व्यक्ति को समझना होगा कि वास्तव में सभी परिस्थितियों में कृष्ण का स्थान क्या है। इसके लिए बुद्धिमत्ता की आवश्यकता है।"|Vanisource:710105 - Conversation - Bombay|710105 - सम्भाषण - बॉम्बे}} |
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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
कृष्ण एक महिला-शिकारी है। यह रास-लीला कृष्ण का सबसे उच्चतम लीला हैं। लेकिन यहां अगर कोई पुरुष महिला-शिकारी बन जाता है, तो वह सबसे घृणित व्यक्ति होगा। यह लोगों की गलती है: वे कृष्ण को साधारण मनुष्य मानते हैं। अवाजानन्ती मां मूढ़ा (भ.गी. ९.११]) वे दुष्ट हैं, मूर्ख हैं, मानुशीम तनुं आश्रितम। इस ज्ञान को सीखना होगा- कैसे कृष्ण सभी परिस्थितियों में संपूर्ण हैं। कृष्ण सिखा रहे हैं, "बस जाओ और द्रोणाचार्य से थोड़ा झूठ बोलो।" अब लोग आश्चर्यचकित होंगे, कि भगवान किसी को कैसे सिखा रहे हैं कि "तुम जाओ और इस झूठ को बोलो"? इसलिए वे हतप्रभ हो जाते हैं। इसलिए हर व्यक्ति को समझना होगा कि वास्तव में सभी परिस्थितियों में कृष्ण का स्थान क्या है। इसके लिए बुद्धिमत्ता की आवश्यकता है।" |
710105 - सम्भाषण - बॉम्बे |