HI/710913 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मोम्बासा में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/710913BG-MOMBASA_ND_01.mp3</mp3player>|"हम भगवान के एक छोटे-से अंश हैं। जैसे भगवान सुवर्ण की गांठ के सामान है, और हम उस सुवर्ण की गांठ के एक छोटे से कण हैं। तो हालाँकि हम छोटे कण हैं, लेकिन गुणवत्ता से हम सुवर्ण सरीखे ही हैं। भगवान सुवर्ण हैं; हम सुवर्ण हैं। तो यदि आप अपनी स्थिति को समझ सकते हैं,तो आप भगवान को भी समझ सकते हैं। जैसे चावल के एक बैग से आप थोड़े से दाने लेकर देखते हैं, तो आप समझ सकते हैं कि बैग के चावल की गुणवत्ता क्या है और आप उसका मूल्यांकन कर सकते हैं । तो अगर आप अपने आप को समझ सकते है तो आप भगवान को भी समझ सकते है । या अन्य तरीका:यदि आप भगवान को समझ सकते है तो आप सब कुछ समझ सकते है। एक तरीका आरोही प्रक्रिया है, एक प्रक्रिया अवरोही प्रक्रिया है। "|Vanisource:710913 - Lecture BG 02.13 - Mombasa|७१०९१३  - प्रवचन भ.ग. ०२.१३  - मोम्बासा}}
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Latest revision as of 04:46, 5 November 2021

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"हम भगवान के एक छोटे-से अंश हैं। जैसे भगवान सुवर्ण की गांठ के समान हैं, और हम उस सुवर्ण की गांठ के एक छोटे से कण हैं। तो हालाँकि हम छोटे कण हैं, लेकिन गुणवत्ता से हम सुवर्ण ही हैं। भगवान सुवर्ण हैं; हम सुवर्ण हैं। तो यदि आप अपनी स्थिति को समझ सकते हैं,तो आप भगवान को भी समझ सकते हैं। जैसे चावल के एक बैग से आप थोड़े से दाने लेकर देखते हैं, तो आप समझ सकते हैं कि बैग के चावल की गुणवत्ता क्या है और आप उसका मूल्यांकन कर सकते हैं । तो यदि आप अपने आप को समझ सकते है तो आप भगवान को भी समझ सकते है। यदि आप भगवान को समझ सकते है तो आप सब कुछ समझ सकते है। यह एक प्रकार की अवरोही प्रक्रिया है।"
७१०९१३ - प्रवचन भ.ग. ०२.१३ - मोम्बासा