HI/740614 सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद पेरिस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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प्रभुपाद: हाँ, लेकिन जैसे ही आप मजबूत हो जाएंगे, स्वाभाविक रूप से अधिक दुश्मन होंगे। यह स्वाभाविक है। इसलिए कल रात मैंने कहा, 'अगर ईश्वर की समझ नहीं है, तो धर्म कहां है?' (चकल्स) यह धर्म नहीं है, वे धोखा दे रहे हैं। भगवान की अवधारणा के बिना धर्म की कोई भी धारणा नहीं हो सकती।|Vanisource:740614 - Morning Walk - Paris|740614 - सुबह की सैर - पेरिस}}
प्रभुपाद: हाँ, लेकिन जैसे ही आप मजबूत हो जाएंगे, स्वाभाविक रूप से अधिक दुश्मन होंगे। यह स्वाभाविक है। इसलिए कल रात मैंने कहा, 'अगर ईश्वर की समझ नहीं है, तो धर्म कहां है?' (चकल्स) यह धर्म नहीं है, वे धोखा दे रहे हैं। भगवान की अवधारणा के बिना धर्म की कोई भी धारणा नहीं हो सकती।|Vanisource:740614 - Morning Walk - Paris|740614 - सुबह की सैर - पेरिस}}

Latest revision as of 00:04, 13 September 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
परमहंस: ऐसा लगता है कि जितना अधिक हम कृष्ण चेतना आंदोलन को आगे बढ़ाने का प्रयास करते हैं, उतना ही अधिक माया हमें रोकने के लिए रास्ते में बाधाएं डालती हैं।

प्रभुपाद: हाँ, लेकिन जैसे ही आप मजबूत हो जाएंगे, स्वाभाविक रूप से अधिक दुश्मन होंगे। यह स्वाभाविक है। इसलिए कल रात मैंने कहा, 'अगर ईश्वर की समझ नहीं है, तो धर्म कहां है?' (चकल्स) यह धर्म नहीं है, वे धोखा दे रहे हैं। भगवान की अवधारणा के बिना धर्म की कोई भी धारणा नहीं हो सकती।

740614 - सुबह की सैर - पेरिस