HI/680116 - गुरुदास और यमुना को लिखित पत्र, लॉस एंजिलस: Difference between revisions

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''(पूर्ण हस्तलिखित)''
(पूर्ण हस्तलिखित)
<u>१६ जनवरी, १९६८</u> <br/>
 
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जनवरी १६, १९६८
प्रिय गुरू दास और यमुना देवी, <br/>
 
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प्रिय गुरू दास और यमुना देवी,  
एक अच्छे युवक और युवती बनो और हमेशा हरे कृष्ण मंत्र का जप करो, जिसके परिणाम से तुम अति प्रसन्न हो जाओगे। <br/>
 
एक अच्छे युवक और युवती बनें और हमेशा हरे कृष्ण मंत्र का जप करें, जिसके परिणाम से आप अति प्रसन्न हो जाओगे।  
यमुना, आप जानकी से थोड़ी बेहतर सेवा करती हैं, लेकिन इस पर स्वाभिमान न होने दें और जो थोड़े कम भाग्यशाली हैं, उनके शुभचिंतक बनें। गुरु दास आप भी बहुत अच्छी सेवा कर रहे हैं और आप हमारे संस्था के एक बहुत महत्वपूर्ण सदस्य हैं। आप और आपकी पत्नी इतनी अच्छी तरह से सेवा करें कि कभी कोई समस्या न हो।
   
   
यमुना देवी, तुम जानकी देवी जी से थोड़ी बेहतर सेवा करती हो, लेकिन इस पर अभिमान मत करो और जो थोड़े कम भाग्यशाली हैं, उनके शुभचिंतक बनो। गुरु दास तुम भी बहुत अच्छी सेवा कर रहे हो और तुम हमारे संस्था के एक बहुत महत्वपूर्ण सदस्य हो। तुम और तुम्हारी पत्नी इतनी अच्छी तरह से सेवा करते हो कि कभी कोई समस्या हो ही नहीं सकती। <br/>
 
आपका नित्य शुभचिंतक,
आपका नित्य शुभचिंतक, <br/>
 
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ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी <br />
 
ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी

Latest revision as of 06:27, 12 June 2024

गुरु दास और यमुना को लिखित पत्र


(पूर्ण हस्तलिखित)

जनवरी १६, १९६८

प्रिय गुरू दास और यमुना देवी,

एक अच्छे युवक और युवती बनें और हमेशा हरे कृष्ण मंत्र का जप करें, जिसके परिणाम से आप अति प्रसन्न हो जाओगे। यमुना, आप जानकी से थोड़ी बेहतर सेवा करती हैं, लेकिन इस पर स्वाभिमान न होने दें और जो थोड़े कम भाग्यशाली हैं, उनके शुभचिंतक बनें। गुरु दास आप भी बहुत अच्छी सेवा कर रहे हैं और आप हमारे संस्था के एक बहुत महत्वपूर्ण सदस्य हैं। आप और आपकी पत्नी इतनी अच्छी तरह से सेवा करें कि कभी कोई समस्या न हो।


आपका नित्य शुभचिंतक,

ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी