HI/720714 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लंडन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 16:19, 14 June 2024
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"हमने देखा है कोई पत्तियां, कोई पत्ती पेड़ से गिरती है, तो वह धीरे धीरे सूख जाती है, पीली पड जाती है, क्योंकि वह पेड़ से अलग हो चुकी है। वैसे ही जैसे आप कृष्ण से अलग हो जाते हैं, आपके जीवन की यह दशा होती है। वह धीरे धीरे सूख जाती है। वह धीरे धीरे सूख जाती है। यह स्थिति है। तो हम यह कोशिश कर रहे हैं की इसे वापस जोड़ें, मेरे कहने का अर्थ है, इस गिरी हुई पत्ती को पुनः पेड़ से जोड़े। यह संभव है, भौतिक तौर से यह संभव नहीं; किंतु आध्यात्मिक तौर से यह संभव है। तो अगर कोई व्यक्ति पुनः कृष्ण से जुड़ जाता है, वह पुनर्जीवित हो जाता है। बिजली। जैसे बिजली का स्विच बंद कर दो तो बिजली नहीं रहती और स्विच ऑन कर दो तो बिजली आ जाती है। कृष्ण भावनामृत आंदोलन यही है, स्विच ऑन करने की प्रक्रिया।" |
720714 - प्रवचन श्री.भा. ०१.०१.०४ - लंडन |