HI/680824c प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
(Vanibot #0019: LinkReviser - Revise links, localize and redirect them to the de facto address)
Line 2: Line 2:
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६८]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - १९६८]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - मॉन्ट्रियल]]
[[Category:HI/अमृत वाणी - मॉन्ट्रियल]]
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680824BG-MONTREAL_ND_03.mp3</mp3player>|"सबसे पहले, कृष्ण के भक्त बनने की कोशिश करें। फिर समझने की कोशिश करें कि भगवद गीता क्या है - आपकी विद्वता से या आपकी अटकलों से नहीं। फिर आप कभी भी भगवद गीता को नहीं समझ पाएंगे। यदि आपको भगवद गीता को समझना है, फिर आपको भगवद गीता में बताई गई प्रक्रिया को समझना होगा, न कि आपकी अपनी मानसिक अटकलों से। समझने की प्रक्रिया यह है। भक्तोऽसि मे सखा चेति ([[Vanisource:BG 4.3|BG 4.3]])। भक्त का अर्थ है ... भक्त कौन है? भक्त का अर्थ है, जिसने ईश्वर के साथ अपने शाश्वत संबंधों को पुनर्जीवित किया है।”|Vanisource:680824 - Lecture BG 04.01 - Montreal|680824 - प्रवचन BG 04.01 - मॉन्ट्रियल}}
<!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE -->
{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/680824b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|680824b|HI/680825 बातचीत - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|680825}}
<!-- END NAVIGATION BAR -->
{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/680824BG-MONTREAL_ND_03.mp3</mp3player>|सबसे पहले, कृष्ण के भक्त बनने की कोशिश करें । फिर समझने की कोशिश करें कि भगवद गीता क्या है - आपकी विद्वता से या आपकी अटकलों से नहीं । फिर आप कभी भी भगवद गीता को नहीं समझ पाएंगे । यदि आपको भगवद गीता को समझना है, फिर आपको भगवद गीता में बताई गई प्रक्रिया को समझना होगा, न कि आपकी अपनी मानसिक अटकलों से । समझने की प्रक्रिया यह है । भक्तोसि मे सखा चेति ([[HI/BG 4.3|भ.गी. ४.]]) । भक्त का अर्थ है ... भक्त कौन है ? भक्त का अर्थ है, जिसने ईश्वर के साथ अपने शाश्वत संबंध को पुनर्जीवित किया है ।|Vanisource:680824 - Lecture BG 04.01 - Montreal|680824 - प्रवचन भ.गी. ४.१. - मॉन्ट्रियल}}

Revision as of 17:35, 17 September 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
सबसे पहले, कृष्ण के भक्त बनने की कोशिश करें । फिर समझने की कोशिश करें कि भगवद गीता क्या है - आपकी विद्वता से या आपकी अटकलों से नहीं । फिर आप कभी भी भगवद गीता को नहीं समझ पाएंगे । यदि आपको भगवद गीता को समझना है, फिर आपको भगवद गीता में बताई गई प्रक्रिया को समझना होगा, न कि आपकी अपनी मानसिक अटकलों से । समझने की प्रक्रिया यह है । भक्तोसि मे सखा चेति (भ.गी. ४.३) । भक्त का अर्थ है ... भक्त कौन है ? भक्त का अर्थ है, जिसने ईश्वर के साथ अपने शाश्वत संबंध को पुनर्जीवित किया है ।
680824 - प्रवचन भ.गी. ४.१. - मॉन्ट्रियल