HI/680824c प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मॉन्ट्रियल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Revision as of 17:35, 17 September 2020
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
सबसे पहले, कृष्ण के भक्त बनने की कोशिश करें । फिर समझने की कोशिश करें कि भगवद गीता क्या है - आपकी विद्वता से या आपकी अटकलों से नहीं । फिर आप कभी भी भगवद गीता को नहीं समझ पाएंगे । यदि आपको भगवद गीता को समझना है, फिर आपको भगवद गीता में बताई गई प्रक्रिया को समझना होगा, न कि आपकी अपनी मानसिक अटकलों से । समझने की प्रक्रिया यह है । भक्तोसि मे सखा चेति (भ.गी. ४.३) । भक्त का अर्थ है ... भक्त कौन है ? भक्त का अर्थ है, जिसने ईश्वर के साथ अपने शाश्वत संबंध को पुनर्जीवित किया है । |
680824 - प्रवचन भ.गी. ४.१. - मॉन्ट्रियल |