HI/750628 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद डेन्वर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/750628SB-DENVER_ND_01.mp3</mp3player>|वे यह नहीं समझते कि यह भौतिक सशर्त जीवन हमेशा दुखदायक है। उन्होंने स्वीकार किया है, 'यह बहुत अच्छा है'। पशु, जानवर ... जैसे बूचड़खाने में, पशुधन गोदाम में, बहुत सारे जानवर हैं, और वे मारे जाने वाले हैं। सब को पता है। खुद वो जानवर भी जानते हैं। लेकिन उनके पशु की गुणवत्ता के कारण, वे कुछ भी नहीं कर सकते हैं। इसी तरह, हम भी इस भौतिक दुनिया के बूचड़खाने में डाले गए हैं। इसे दुनिया को मृत्यु-लोक कहा जाता है। सभी जानते हैं कि उसकी हत्या कर दी जाएगी। आज या कल या पचास साल बाद या सौ साल बाद, हर कोई जानता है कि उसकी हत्या कर दी जाएगी। वह मर जाएगा, मृत्यु का अर्थ है वध। कोई भी मरना नहीं चाहता। जानवर भी मरना पसंद नहीं करते, लेकिन उन्हें जबरन मार दिया जाता है। इसे वध कहा जाता है।|Vanisource:750628 - Lecture SB 06.01.15 - Denver|750628 - प्रवचन SB 06.01.15 - डेन्वर}}
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{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/750521 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मेलबोर्न में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|750521|HI/750628b सुबह की सैर - श्रील प्रभुपाद डेन्वर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|750628b}}
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Latest revision as of 23:13, 24 September 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
वे यह नहीं समझते कि यह भौतिक बद्ध जीवन हमेशा दुखदायक है । उन्होंने स्वीकार किया है, 'यह बहुत अच्छा है' । पशु, जानवर... जैसे कसाईखाने में, पशुधन गोदाम में, बहुत सारे जानवर हैं, और वे मारे जाने वाले हैं । सब को पता है । खुद वें जानवर भी जानते हैं । लेकिन उनके पशु के गुण के कारण, वे कुछ भी नहीं कर सकते । इसी तरह, हम भी इस भौतिक दुनिया के कसाईखाने में डाले गए हैं । इसे मृत्यु-लोक कहा जाता है । सभी जानते हैं कि उसकी हत्या कर दी जाएगी । आज या कल या पचास साल बाद या सौ साल बाद, हर कोई जानता है कि उसकी हत्या कर दी जाएगी । वह मर जाएगा, मृत्यु का अर्थ है वध । कोई भी मरना नहीं चाहता । जानवर भी मरना पसंद नहीं करते, लेकिन उन्हें जबरन मार दिया जाता है । इसे वध कहा जाता है।
750628 - प्रवचन श्री.भा. ६.१.१५ - डेन्वर